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एक ऐसा योद्धा : जिसने राजनीति के धुरंधर कह जाने वाले को किया था bold

एक ऐसा योद्धा : जिसने राजनीति के धुरंधर कह जाने वाले को किया था bold

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का एक ऐसा योद्धा है जिसने सुखराम चौधरी को हराकर की दम लिया। इसका नाम है चौधरी किरनेश जंग..
ये एक ऐसा योद्धा है जिनको फाइटर भी कहा जाता है। इस फाइटर ने कभी हार नहीं मानी। हर चुनाव में फाइटर बनकर उभरता है। जो चुनाव हारने के बाद फिर जीत दर्ज कर लेता है। इस बार भी लोग इनके लिए टिकट की मांग कर रहे है। इसका एक ही कारण है ये योद्धा कोरोना काल में भी मैदान में डटा रहा। जब बाकी कई नेता कोरोना के डर से अपने अपने घरों में दुबक गए थे। इसलिए जंग पांवटा की जनता की पहली पसंद बन गए हैं।

और लोग भी बोल रहे है कि यही योद्धा जो फिर से ऊर्जा मंत्री को हरा सकता है। इसके अलावा बाकी कई नेता तो ऊर्जा मंत्री की बी टीम है। पूरे पांच साल ऊर्जा मंत्री इस बी टीम का काम करते है।

चौधरी किरनेश जंग ऐसे नेता है। जिन्होंने 2012 में धुरंधर भाजपा नेता तत्कालीन सीपीएस सुखराम चौधरी को मात दी थी। लेकिन इसके बाद 2017 में कांग्रेस के ही लोगों ने इनको जीतने नहीं दिया। वोट सुखराम चौधरी को शिफ्ट कर दिए। लेकिन फाइटर हमेशा फाइटर होता है वो लड़ता है। हार की परवाह नहीं करता। हारने के बाद भी को लगातार जनता के बीच में है। वो जन सेवा को समर्पित है।

केंद्र और प्रदेश से पार्टी के जो भी आदेश होते हैं उनका पालन करते हैं। महंगाई के खिलाफ जुलूस निकालना हो। जनता की समस्याओं को सुनना हो। सुख दुख में जनता के बीच जाना हो। पार्टी के कार्यकर्ताओं को कोई परेशान करें उनके लिए भी हमेशा खड़ा रहता है।

लेकिन कांग्रेस पार्टी के अपने ही लोग सुखराम चौधरी से मिलकर इनको हराते हैं। इनके मुकाबले का कोई भी नेता कांग्रेस में नहीं है। सबसे ज्यादा अगर किसी के पास जनसमर्थन है तो वह किरनेश जंग ही है।

स्वतंत्रता सेनानी परिवार से है इसलिए नहीं मानते कभी हार

चौधरी किरनेश जंग स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं। इसलिए भी वह हार नहीं मानते और आगे भी उनकी जंग जारी रहेगी। चौधरी चौधरी किरनेश जंग लोगों के दिलों में राज करते हैं अभी भी उनके समर्थकों की संख्या बहुत अधिक है। सुखराम चौधरी के प्रति लोगों की बढ़ती नाराजगी इस बात का संकेत है फिर से लोग जंग की तरफ जा रहे हैं।
वह सच्चे इंसान हैं। दूसरे नेताओं की तरह झूठे वादे नहीं करते। वह अधिकारियों से चंदा नहीं लेते। कर्मचारियों और अधिकारियों को परेशान नहीं करते।

इनका कोई मुकाबला नहीं है अभी भी फिर इनकी तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है। वह राजा वीरभद्र सिंह के बहुत करीबी रहे हैं। अभी उनके परिवार से उनका वही पुराना नाता है। इनका 2012 से 2017 तक पांवटा के विकास का स्वर्णिम काल रहा।

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